धर्म स्थलों की वापसी का अभियान, धर्म-संस्कृति के स्थलों की पुनर्स्थापना


हिंदू समाज उन मंदिरों को ही वापस मांग रहा है जो उसके अपने थे और जिन्हें मजहबी आक्रांताओं ने ध्वंस कर उन पर अपने ढांचे खड़े किए थे। अब स्वतंत्रता और चेतना आई है तो हिंदू समाज उन धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों को बिना किसी दुर्भावना के अपनी उसी पूर्व की स्थिति में लाना चाह रहा है जैसे वे सैकड़ों वर्ष पूर्व थे।

विनोद मौर्य | 04 Feb 2024

एक दौर वह भी था जब मजहबी जुनून के वशीभूत बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने अयोध्या में रक्तपात करते हुए राम मंदिर का ध्वंस किया और उसी के अवशेषों पर मस्जिद खड़ी कर दी। बाबर के दौर से शुरू हुआ यह सिलसिला औरंगजेब के दौर में अपने चरम पर पहुंच गया। इसी सिलसिले में कई मंदिरों को ध्वस्त कर उन्हीं के स्थान पर उनकी सामग्री से ही मस्जिद जैसे ढांचे खड़े कर दिए गए। वाराणसी में ज्ञानवापी ऐसा ही एक उदाहरण है, जहां मंदिर तोड़कर मस्जिद खड़ी कर दी गई। बीते दिनों इस मंदिर के एक तलगृह में 1993 के बाद हिंदू पक्ष को फिर से पूजा करने की अनुमति मिली। उसे लेकर अभी अदालती खींचतान जारी है। वाराणसी जैसी स्थिति मथुरा की भी है।


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